कार्तिकेय भगवान

उत्तराखंड के हिमालय में स्थित एकमात्र जगह जहां से आप 360 डिग्री एंगल से पर्वत श्रृंखलाओं का मनोरम दृश्य देख सकते है।यदि आप हिमालय प्रेमी हैं। बर्फ़ली हिमालयी चोटियों को बेहद करीब से देखना चाहते हैं, यही नहीं इस जगह बिराजते हैं। महादेव शिव के जयेष्ठ पुत्र ,देव सेनापति  कुमार कार्तिकेय। किसी स्वर्गिक अहसास सा है इस पर्वत पर जाना
         "भगवान शिव और पार्वती के ज्येष्ठ पुत्र श्री कार्तिक भगवान जो उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में कनक चौरी मार्केट  से 3 किलोमीटर  क्रौंच पर्वत पर स्थित है'
                    पौराणिक कथा के अनुसार कहा जाता है कि भगवान शिव-पार्वती के द्वितीय पुत्र श्री गणेश भगवान जब चतुराई कर माता-पिता से श्रेष्ठता का वर प्राप्त करते है। तो ये सुनकर श्री कार्तिक भगवान माता-पिता से रूष्ट होकर अपना मांस पिंड त्याग देते है। और चिरकाल के लिए क्रौंच पर्वत पर तपोस्थित हो जाते है।
              "तब माता पार्वती भगवान शंकर को ढूंढ लाने का अनुरोध करती है'..भगवान कार्तिक स्वामी को भारत के दक्षिणी भाग में कार्तिक मुरुगन स्वामी के रूप में भी जाना जाता है।
मंदिर में टंगी सैकड़ों घंटियों की लगातार आवाज वहां से करीब 800 मीटर की दूरी पर सुनी जा सकती है। मुख्य सड़क से 80 सीढ़ियों की उड़ान आपको मंदिर के गर्भगृह या उस स्थान तक ले जाती है जहाँ मूर्ति रखी जाती है। संध्या आरती या शाम की प्रार्थना, मंत्रों का जादू और कभी-कभी मंदिर में आयोजित महा-भंडार या भव्य भोज भक्तों और पर्यटकों के लिए एक विशेष आकर्षण है।

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