देवभूमि उत्तराखंड 🚩🚩

🚩जय देशभूमि उत्तराखंड🚩
    
यह विशाल पत्थर उत्तराखण्ड के जिले रुद्रप्रयाग  से 23 km दूर #अगस्त्यमुनि_बेडूबगड_ग्राम_हाट_व_सौडी  के मध्य अविरल प्रवाहमान मन्दाकिनी नदी के बीचों बीच  महाभारतकाल से विराजमान है। 

कहते हैं कि जब आखिरी समय में पाण्डव स्वर्ग जाने के लिए केदारधाम जा रहे थे तो इसी स्थान पर भीम के हाथ से सत्तू ( जौ आदि का मोटा आटा ) का गोला गिरकर मन्दाकिनी नदी में गिर गया और दो भागों में टूटकर पत्थर का रूप धारण कर लिया। तभी से इस पत्थर का नाम सत्तूढिण्ढा( सत्तू का पत्थर) पडा। कालान्तर में इसकी चोटी पर एक महात्मा जी  भी कुटिया बनाकर रहे हैं। इसकी ऊपरी सतह पर चिनाई के अवशेष अभी भी दृष्टिगोचर होते हैं। पत्थर के बीच में जो दरार पडी है उसी दरार से पत्थर की चोटी तक जाया जाता है। 

गांव की महिलाएं पत्थर की चोटी पर उगी घास काटने के लिए इसी दरार के रास्ते जाती हैं। कुछ गढवाली फिल्मों में भी इस पौराणिक पत्थर का फिल्मांकन किया गया है। मान्यता है कि इस पत्थर  को स्पर्श करने अथवा दूर से भी इसके दर्शन मात्र से मनोकामना पूरी हो जाती है। 

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