महाभारत
द्रौपदी के चीर हरण के पीछे क्या कारण था?
उसके चीर हरण का सबसे बड़ा कारण था युधिष्ठिर द्वारा उसे जुए में लगाकर दांव हार जाना और अन्य पांडवों का युधिष्ठिर के इस कृत्य का विरोध न करना।
किन्तु युधिष्ठिर के दांव हार जाने का मतलब यह कतई नहीं था कि कौरव उसका चीर हरण पूरे सभा के सामने करें। जब उसने सभा में प्रवेश किया, तब कर्ण ने यह निकृष्ट बातें कहीं -
उद्धरण -
कुरुनन्दन! देवताओंने स्त्रीके लिये एक ही पतिका विधान किया है; परंतु यह द्रौपदी अनेक पतियोंके अधीन है, अतः यह निश्चय ही वेश्या है। इसका सभामें लाया जाना कोई अनोखी बात नहीं है। यह एकवस्त्रा अथवा नंगी हो तो भी यहाँ लायी जा सकती है, यह मेरा स्पष्ट मत है ।। ३५-३६ ।।
इन पाण्डवोंके पास जो कुछ धन है, जो यह द्रौपदी है तथा जो ये पाण्डव हैं, इन सबको सुबलपुत्र शकुनिने यहाँ जूएके धनके रूपमें धर्मपूर्वक जीता है ।। ३७ ।।
दुःशासन! यह विकर्ण अत्यन्त मूढ़ है, तथापि विद्वानोंकी-सी बातें बनाता है। तुम पाण्डवोंके और द्रौपदीके भी वस्त्र उतार लो ।। ३८ ।।
स्रोत : व्यास महाभारत, गीताप्रेस संस्करण
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